Monday, April 13, 2020

class-7-प्रथमा पाठ : सुभाषितानि










सरलार्थ - पृथ्वी पर तीन  रत्न  है | जल  अन्न ओर कवियों के सुंदर बचन लेकिन मूर्ख लोगों के द्वारा पत्थर के टुकड़े को रत्नों की संज्ञा दी जाती है | 







सरलार्थ -सत्य सत्य से पृथ्वी धारण होती है सत्य से सूर्य तपता है सत्य से वायु चलती है सब कुछ सत्य पर टिका हुआ है।



सरलार्थ -दान में तप में शौर्य में विज्ञान में विनय में विस्मय  नहीं करना चाहिए क्योंकि यह धरती बहुत से रत्नों वाली है ।





सरलार्थ - सज्जनों के साथ रहना चाहिए सज्जनों की संगति करनी चाहिए सज्जनों के साथ विवाद तथा मित्रता करनी चाहिए असज्जन लोगों के साथ कुछ भी नहीं करना चाहिए।






सरलार्थ -धन धान्य के प्रयोग में विद्या के संग्रह में आहार में तथा व्यवहार में जो लज्जा छोड़ देता है वह सुखी होता है।




सरलार्थ -क्षमा ने सारे संसार को वश में किया हुआ है क्षमा से क्या नहीं साधा जा सकता शांति रूपी तलवार जिसके पास है उसका दुष्ट लोग कुछ भी नहीं कर सकते।




यथायोग्यं श्लोकांशान्‌ मेलयत-
         क            ख
धनधान्यप्रयोगेषुनासद्भिः किञ्चिदाचरेत्।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यःत्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।
सत्येन धार्यते पृथ्वीबहुरत्ना वसुन्धरा।
सद्भिर्विवादं मैत्रीं चविद्यायाः संग्रहेषु च।
आहारे व्यवहारे चसत्येन तपते रविः।

ANSWER:

         क            ख
धनधान्यप्रयोगेषुविद्यायाः संग्रहेषु च।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यःबहुरत्ना वसुन्धरा।
सत्येन धार्यते पृथ्वीसत्येन तपते रविः।
सद्भिर्विवादं मैत्रीं चनासद्भिः किञ्चिदाचरेत्।
आहारे व्यवहारे चत्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।

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Question 3:

एकपदेन उत्तरत-
(क) पृथिव्यां कति रत्नानि?

(ख) मूढैः कुत्र रत्नसंज्ञा विधीयते?

(ग) पृथिवी केन धार्यते?

(घ) कैः सङ्गितं कुर्वीत?

(ङ) लोके वशीकृतिः का?

ANSWER:

(क) पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि।

(ख) मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते।

(ग) पृथिवी सत्येन धार्यते।

(घ) सद्भिः सङ्गितं कुर्वीत।

(ङ) लोके वशीकृतिः क्षमा।

Page No 4:

Question 4:

रेखाङ्गितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) सत्येन वाति वायुः।

(ख) सद्भिः एव सहासीत।

(ग) वसुन्धरा बहुरत्ना भवति।

(घ) विद्यायाः संग्रहेषु त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्।

(ङ) सद्भिः मैत्रीं कुर्वीत।

ANSWER:

(केन वाति वायु:?
(काभि: एव सहासीत?
(का बहुरत्ना भवति?
(कस्या: संग्रहेषु त्यक्तलज्जसुखी भवेत्‌?
(काभिः मैत्रीं कुर्वीत?

Page No 4:

Question 5:

प्रश्नानामुत्तराणि लिखत-
(क) कुत्रः विस्मयः न कर्त्तव्यः?

(ख) पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि कानि?

(ग) त्यक्तलज्जः कुत्र सुखी भवेत्?

ANSWER:

() बहुरत्ना वसुन्धरा इति विस्मयन कर्त्तव्य:
(पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् सन्ति।
(त्यक्तलज्जआहारे व्यवहारे च सुखी भवेत्‌।

Page No 5:

Question 6:

मञ्जूषातः पदानि चित्वा लिङ्गानुसारं लिखत-
रत्नानिवसुन्धरासत्येनसुखीअन्नम्वह्निःरविःपृथ्वीसङ्गतिम्

पुँल्लिङ्गम्स्त्रीलिङ्गम्नपुसंकलिङ्गम्
........................................................................
........................................................................
........................................................................

ANSWER:

पुँल्लिङ्गम्
स्त्रीलिङ्गम्
नपुंसकलिङ्गम्
सत्येन
वसुन्धरा
रत्नानि
रवि
पृथ्वी
सुखी
अन्नम्
वहि्नः
सङ्गतिम्

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Question 7:

अधोलिखितपदेषु धातव: के सन्ति?

पदम्धातुः
करोति..............
पश्य..............
भवेत्..............
तिष्ठति..............

ANSWER:

पदम्‌
धातु:
कर्त्तव्य:
कृ
पश्य
दृश्
भवेत्‌
भू
स्थित:
स्था



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