विशेषण
विशेषण
संख्यावाचक विशेषण:
जिन शब्दों के द्वारा हम संज्ञा तथा सर्वनाम की बताते
जैसे:
श्वेत: पुष्प
|
सफेद फूल
|
कृष्ण: सर्प:
|
काला साँप
|
गतिमान: गज:
|
गतिमान (चलता हुआ) हाथी।
|
श्वेत:, कृष्ण: तथा गतिमान: उपरोक्त पदों के विशेषण हैं क्योंकि इनसे इन पदों की विशेषताएं बताई गई हैं।
संख्यावाचक विशेषण
ऐसे विशेषण जिनसे हमें पदों की संख्याओं का पता चलता है, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे: एकम् फलम्
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एक फल
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द्वे पुस्तके
|
दो पुस्तकें
|
त्रीणि कन्दुकानि
|
तीन गेंदें
|
संख्यावाचक शब्द एक से पञ्चाशत् तक
1.
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एक: एकम्, एका
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2.
|
द्वौ, द्वे
|
3.
|
त्रय: (त्रीणि, तिस्त्र)
|
4.
|
चत्वार: (चत्वारि, चतस्र)
|
5.
|
पञ्च
|
6.
|
षट्
|
7.
|
सप्त
|
8.
|
अष्ट
|
9
|
नव
|
10.
|
दश
|
11.
|
एकादश
|
12.
|
द्वादश
|
13.
|
त्रयोदश
|
14.
|
चतुर्दश
|
15.
|
पञ्चादश
|
16.
|
षोडश
|
17.
|
सप्तदश
|
18.
|
अष्टादश
|
19.
|
नवदश, एकोनविंशति
|
20.
|
विंशति:
|
21.
|
एकविंशति:
|
22.
|
द्वाविंशति:
|
23.
|
त्रयोविंशति:
|
24.
|
चतुविंशति:
|
25.
|
पञ्चविंशति:
|
26.
|
षड्विंशति:
|
27.
|
सप्तविंशति:
|
28.
|
अष्टविंशति:
|
29.
|
नवविंशति:
|
30.
|
त्रिंशत्
|
31.
|
एकत्रिंशत्
|
32.
|
द्वात्रिंशत्
|
33.
|
त्रयत्रिंशत्
|
34.
|
चतुत्रिंशत्
|
35.
|
पञ्चत्रिंशत्
|
36.
|
षड्त्रिंशत्
|
37.
|
सप्तत्रिंशत्
|
38.
|
अष्टत्रिंशत्
|
39.
|
नवत्रिंशत्
|
40.
|
चत्वारिंशत्
|
41.
|
एकचत्वारिंशत्
|
42.
|
द्विचत्वारिंशत्
|
43.
|
त्रयचत्वारिंशत्
|
44.
|
चतुश्चत्वारिंशत्
|
45.
|
पंचचत्वारिंशत्
|
46.
|
षट्चत्वारिंशत्
|
47.
|
सप्तचत्वारिंशत्
|
48.
|
अष्टचत्वारिंशत्
|
49.
|
नवचत्वारिंशत्
|
50.
|
पञ्चाशत्
|
आप इन संख्याओं का प्रयोग करके सरल वाक्य बना सकते हैं।
आपको हम अब इन संख्यावाची शब्दों के रुपों का परिचय कराएंगे। इनका उपयोग भी विभक्ति एवं लिंग के अनुसार होता है।
एक शब्द
विभक्ति
|
पुँल्लिगम्
|
स्त्रीलिंगम्
|
नपुँसकलिंगम्
|
प्रथमा
|
एक:
|
एका
|
एकम्
|
द्वितीया
|
एकम्
|
एकाम्
|
एकम्
|
तृतीया
|
एकेन
|
एकया
|
एकेन
|
चतुर्थी
|
एकस्मै
|
एकस्यै
|
एकेस्मै
|
पञ्चमी
|
एकस्मात्
|
एकस्या:
|
एकस्मात्
|
षष्ठी
|
एकस्य
|
एकस्या:
|
एकस्य
|
सप्तमी
|
एकस्मिन्
|
एकस्याम्
|
एकस्मिन्
|
* 'एक' शब्द के रुप सदा एकवचन में ही होते हैं।
द्वि = दो (द्विवचन में)
विभक्ति
|
पुँल्लिगम्
|
स्त्रीलिंगम्
|
नपुँसकलिंगम्
|
प्रथमा
|
द्वौ
|
द्वे
|
द्वे
|
द्वितीया
|
द्वो
|
द्वे
|
द्वे
|
तृतीया
|
द्वाभ्याम्
|
द्वाभ्याम्
|
द्वाभ्याम्
|
चतुर्थी
|
द्वाभ्याम्
|
द्वाभ्याम्
|
द्वाभ्याम्
|
पञ्चमी
|
द्वाभ्याम्
|
द्वाभ्याम्
|
द्वाभ्याम्
|
षष्ठी
|
द्वयो:
|
द्वयो:
|
द्वयो:
|
सप्तमी
|
द्वयो:
|
द्वयो:
|
द्वयो:
|
त्रि = तीन
विभक्ति
|
पुँल्लिङ्गम्
|
स्त्रीलिंङ्गम्
|
नपुँसकलिंङ्ग
|
प्रथमा
|
त्रय:
|
तिस्र:
|
त्रीणि
|
द्वितीया
|
त्रीन्
|
तिस्र:
|
त्रीणि
|
तृतीया
|
त्रिभि:
|
तिसृभि:
|
त्रिभि:
|
चतुर्थी
|
त्रिभ्य:
|
तिसृभ्य:
|
त्रिभ्य:
|
पञ्चमी
|
त्रिभ्य:
|
तिसृभ्य:
|
त्रिभ्य:
|
षष्ठी
|
त्रयाणाम्
|
तिसृणाम्
|
त्रयाणाम्
|
सप्तमी
|
त्रिषु
|
तिसृषु
|
त्रिषु
|
चत्वार: (चार) बहुवचन
विभक्ति
|
पुँल्लिगम्
|
स्त्रीलिंगम्
|
नपुँसकलिंगम्
|
प्रथमा
|
चत्वार:
|
चतस्र:
|
चत्वारि
|
द्वितीया
|
चतुर:
|
चतस्र:
|
चत्वारि
|
तृतीया
|
चतुर्भि:
|
चतसृभि:
|
चतुर्भि
|
चतुर्थी
|
चतुर्भ्य:
|
चतसृभ्य:
|
चतुर्भ्य:
|
पञ्चमी
|
चतुर्भ्य:
|
चतुसृभ्य:
|
चतुर्भ्य:
|
षष्ठी
|
चतुर्णाम्
|
चतसृणाम्
|
चतुर्णाम्
|
सप्तमी
|
चतुर्षु
|
चतसृषु
|
चतुर्षु
|
पाँच, छ:, सात, आठ, नौ, दस इन सबकें रुप सभी लिंगों में एक समान ही होते हैं।
विभक्ति
| |
प्रथमा
|
पञ्च
|
द्वितीया
|
पञ्च
|
तृतीया
|
पञ्चभि:
|
चतुर्थी
|
पञ्चभ्य:
|
पञ्चमी
|
पञ्चभ्य:
|
षष्ठी
|
पञ्चानाम्
|
सप्तमी
|
पञ्चसु
|
छ:, सात
विभक्ति
|
षट्
|
सप्त
|
प्रथमा
|
षट्, षड्
|
सप्त
|
द्वितीया
|
षट्, षड्
|
सप्त
|
तृतीया
|
षड्भि:
|
सप्तभि:
|
चतुर्थी
|
षड्भ्य:
|
सप्तभ्य:
|
पञ्चमी
|
षड्भ्य:
|
सप्तभ्य:
|
षष्ठी
|
षण्णाम्
|
सप्तनाम्
|
सप्तमी
|
षट्सु
|
सप्तसु
|
आठ, नौ, दस
विभक्ति
|
अष्टन्
|
नवन
|
दशन्
|
प्रथमा
|
अष्टा,अष्ट
|
नव
|
दश
|
द्वितीया
|
अष्टा, अष्ट
|
नव
|
दश
|
तृतीया
|
अष्टाभि:, अष्टभि:
|
नवभि:
|
दशाभि:
|
चतुर्थी
|
अष्टाभ्य:, अष्टभ्य:
|
नवभ्य:
|
दशभ्य:
|
पञ्चमी
|
अष्टाभ्य:, अष्टभ्य:
|
नवभ्य:
|
दशभ्य:
|
षष्ठी
|
अष्टानाम्
|
नवानाम्
|
दशानाम्
|
सप्तमी
|
अष्टासु, अष्टसु
|
नवसु
|
दशषु
|
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