Tuesday, April 14, 2020

class -8 प्रथमा पाठ : सुभाषितानि

  










सरलार्थ -गुणवान व्यक्तियों में गुण गुण होते हैं वह निर्गुण व्यक्तियों को प्राप्त करके दोष बन जाते हैं जिस प्रकार नदियां स्वादिष्ट जल से युक्त निकलती है परंतु समुद्र में पहुंचकर पीने योग्य नहीं होती है!! 


सरलार्थ -साहित्य संगीत तथा कला से रहित व्यक्ति वास्तव में पुंछ और   सींग  के बिना पशु है जो घास नहीं खाता हुआ भी जीवित है! यह उन पशुओं का अत्यधिक सौभाग्य है! ! 



सरलार्थ -लालची (व्यक्ति) का यश, चुगल खोर की मित्रता जिसके कर्म नष्ट हो चुके हैं उसका कोई धन को अधिक महत्व देने वाले व्यक्ति का धर्म बुरी लत वाले का विद्या का फल कंजूस का सुख तथा जिसके कंजूस का सुख तथा जिसके तथा जिसके मंत्री आलस्य से पूर्ण है ऐसे राजा का राज्य नष्ट हो जाता है ||



 
सरलार्थ -जिस प्रकार मधुमक्खी कड़वे अथवा मधुर रस को समान रूप से पीकर मीठा रस ही रस ही ही उत्पन्न करती है उसी प्रकार संत लोग सज्जन और दुष्ट लोगों के वचन को एक समान रूप में सुनकर मधुर सूक्ति रूप रस का निर्माण करते हैं ||









Page No 3:

Question 2:

श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) समुद्रमासाद्य ———————।
(ख) ——————— वच: मधुरसूक्तरसं सृजन्ति।
(ग) तद्भभागधेयं ——————— पशूनाम्‌।
(घ) विद्याफलं ——————— कृपणस्य सौख्यम्‌।
(घ) स्त्रियां ——————— सर्वं तद् ———————कुलम्‌।

Answer:

(क) समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेया:
(ख) श्रुत्वा वच: मधुरसूक्तरसं सृजन्ति।
(ग) तद्भागधेयं परमं पशूनाम्‌।
(घ) विद्याफलं व्यसनिनं कृपणस्य सौख्यम्‌।
(घ) स्त्रियां रोचमानायां सर्वं तद् रोचते कुलम्‌।

Question 3:

प्रश्नानाम्‌ उत्तराणि एकपदेन लिखत-
(क) व्यसनिन: किं नश्यति?
(ख) कस्यां रोचमानायां सर्वं कुलं रोचते?
(ग) कस्य यश: नश्यति?
(घ) मधुमक्षिका किं जनयति?
(ङ) मधुरसूक्तरसं के सृजन्ति?

Answer:

(क) विद्याफलम्।
(ख) स्त्रियाम्।
(ग) लुब्धस्य।
(घ) माधुर्यं।
(ङ) मधुमक्षिका।

Question 4:

अधोलिखित-तद्भव-शब्दानां कृते पाठात्‌ चित्वा संस्कृतपदानि लिखत-
यथा-कंजूस
कृपण:
कड़वा
———————
पूँछ
———————
लोभी
———————
मधुमक्खी
———————
तिनका
———————

Answer:

यथा-कंजूस
कृपण:
कड़वा
कटुकम्
पूँछ
पुच्छ
लोभी
लुब्ध
मधुमक्खी
मधुमक्षिका
तिनका
तृणम्

Question 5:

अधोलिखितेषु वाक्येषु कर्तृपदं क्रियापदं च चित्वा लिखत-
वाक्यानि
कर्ता
क्रिया
यथा
सन्त: मधुरसूक्तरसं सृजन्ति।
सन्त:
सृजन्ति
(क)
निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषा:।
———————
———————
(ख)
गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति।
———————
———————
(ग)
मधुमक्षिका माधुर्यं जनयेत्‌।
———————
———————
(घ)
पिशुनस्य मैत्री यश: नाशयति।
———————
———————
(ङ)
नद्य: समुद्रमासाद्य अपेया: भवन्ति।
———————
———————

Answer:

वाक्यानि
कर्ता
क्रिया
यथा
सन्त: मधुरसूक्तरसं सृजन्ति।
सन्त:
सृजन्ति
(क)
निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषा:।
दोषा:
भवन्ति
(ख)
गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति।
गुणा:
भवन्ति
(ग)
मधुमक्षिका माधुर्यं जनयेत्‌।
मधुमक्षिका
जनयेत्‌
(घ)
पिशुनस्य मैत्री यश: नाशयति।
मैत्री
नाशयति
(ङ)
नद्य: समुद्रमासाद्य अपेया: भवन्ति।
नद्य:
भवन्ति

Question 6:

रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) गुणा: गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति।
(ख) नद्य: सुस्वादुतोया: भवन्ति।
(ग) लुब्धस्य यश: नश्यति।
(घ) मधुमक्षिका माधुर्यमेव जनयति।
(ङ) महतां प्रकृति: सुस्थिरा भवति।

Answer:

(क) के गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति?
(ख) का: सुस्वादुतोया: भवन्ति?
(ग) कस्य यश: नश्यति?
(घ) का माधुर्यमेव जनयति?
(ङ) महतां का सुस्थिरा भवति?


Question 7:

उदाहरणानुसारं पदानि पृथक् कुरुत-
यथा-समुद्रमासाद्य
समुद्रम्‌
+
आसाद्य
माधुर्यमेव
———————
+
———————
अल्पमेव
———————
+
———————
सर्वमेव
———————
+
———————
समानमपि
———————
+
———————
महात्मनामुक्ति:
———————
+
———————

Answer:

यथा-समुद्रमासाद्य
समुद्रम्‌
+
आसाद्य
माधुर्यमेव
माधुर्यम
+
एव
अल्पमेव
अल्पम्
+
एव
सर्वमेव
सर्वम्
+
एव
समानमपि
समानम्
+
अपि
महात्मनामुक्ति:
महात्मनाम्
+
उक्ति

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