कक्षा दसवीं प्रथम पाठ शुचिपर्यावरणम्
प्रथम पाठ:
शुचिपर्यावरणम्
प्रस्तुत पाठ आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा के रचना संग्रह ‘लसल्लतिका’ से संकलित है। इसमें कवि ने महानगरों की यांत्रिक-बहुलता से बढ़ते प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि यह लौहचक्र तन-मन का शोषक है, जिससे वायुम.डल और भूम.डल दोनों मलिन हो रहे हैं। कवि महानगरीय जीवन से दूर, नदी-निर्झर, वृक्षसमूह, लताकुञ्ज एवं पक्षियों से गुञ्जित वनप्रदेशों की ओर चलने की अभिलाषा व्यक्त करता है।
दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम्।
शुचि-पर्यावरणम्।।
महानगरमध्ये चलदनिशं कालायसचक्रम्।
मन: शोषयत् तनु: पेषयद् भ्रमति सदा वक्रम्।।
दुर्दान्तैर्दशनैरमुना स्यान्नैव जनग्रसनम्। शुचि...।।1।।
कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति शतशकटीयानम्।
वाष्पयानमाला संधावति वितरन्ती ध्वानम्।।
यानानां पङ्क्तयो ह्यनन्ता: कठिनं संसरणम्। शुचि...।।2।।
वायुम.डलं भृशं दूषितं न हि निर्मलं जलम्।
कुत्सितवस्तुमिश्रितं भक्ष्यं समलं धरातलम्।।
करणीयं बहिरन्तर्जगति तु बहु शुद्धीकरणम्। शुचि...।।3।।
कञ्चित् कालं नय मामस्मान्नगराद् बहुदूरम्।
प्रपश्यामि ग्रामान्ते निर्झर-नदी-पय:पूरम्।।
एकान्ते कान्तारे क्षणमपि मे स्यात् सञ्चरणम्। शुचि...।।4।।
हरिततरूणां ललितलतानां माला रमणीया।
कुसमावलि: समीरचालिता स्यान्मे वरणीया।।
नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचि...।।5।।
अयि चल बन्धो! खगकुलकलरव गुञ्जितवनदेशम्।
पुर-कलरव सम्भ्रमितजनेभ्यो धृतसुखसन्देशम्।।
चाकचिक्यजालं नो कुर्याज्जीवितरसहरणम्। शुचि...।।6।।
अयि चल बन्धो! खगकुलकलरव गुञ्जितवनदेशम्।
पुर-कलरव सम्भ्रमितजनेभ्यो धृतसुखसन्देशम्।।
चाकचिक्यजालं नो कुर्याज्जीवितरसहरणम्। शुचि...।।6।।
- शब्दार्थ
दुर्वहम् - दुष्करम् - कठिन, दूभर - Difficult
जीवितम् - जीवनम् - जीवन - Life
अनिशम् - अहर्निशम् - दिन-रात - Day and Night
कालायसचक्रम् - लौहचक्रम् - लोहे का चक्र - Iron wheel
शोषयत् - शुष्कीकुर्वत् - सुखाते हुए - Drying
तनुः - शरीरम् - शरीर - Body
पेषयद् - पिष्टीकुर्वत् - पीसते हुए - Grinding
वक्रम् - कुटिलम् - टेढ़ा - Askew
दुर्दान्तैः - भयङ्करैः - भयानक (से) - Scary
दशनैः - दन्तैः - दाँतों से - By teeth
अमुना - अनेन - इससे - By thus
जनग्रसनम् - जनभक्षणम् - मानव विनाश - Destruction of humans
कज्जलमलिनम् - कज्जलेन मलिनम् - काजल-सा मलिन (काला)-Black as kohl धूमः - अग्निवाहः - धुआँ - Smoke
मुञ्चति - त्यजति - छोड़ता है - Releasing
शतशकटीयानम् - शकटीयानानां शतम्- सैकड़ों मोटर - Hundreds of
गाड़ियाँ vehicles
वाष्पयानमाला - वाष्पयानानां पंक्तिः- रेलगाड़ी की पंक्ति - Row of trains
वितरन्ती - ददती/वितरणं कुर्वाणा- देती हुई - Distributing
ध्वानम् - ध्वनिम् - कोलाहल - Sound
संसरणम् - सञ्चलनम् - चलना - Movement
भृशं - अत्यधिकम् - अत्यधिक - Enormous
भक्ष्यम् - खाद्यपदार्थ - भोज्य पदार्थ - Eatable
समलम् - मलेन युक्तम् - मलयुक्त, गन्दगी से युक्त- Dirty
ग्रामान्ते - ग्रामस्य सीमायाम् (सीम्नि) - गाँव की सीमा पर - At village border
पयःपूरम् - जलाशयम् - जल से भरा - Pond
हुआ तालाब
कान्तारे - वने - जंगल में - In the forest
कुसुमावलिः - कुसुमानां पंक्तिः - फूलों की पंक्ति - Row of flowers
समीरचालिता - वायुचालिता - हवा से चलायी हुई - Moved by wind
रुचिरम् - सुन्दरम् - सुन्दर - Attractive
खगकुलकलरव - खगकुलानां कलरवः - पक्षियों के समूह - Chirping of birds
(पक्षिसमूहध्वनिः) की ध्वनि
चाकचिक्यजालम्- कृत्रिमं प्रभावपूर्णं - चकाचौंध भरी दुनिया - Web of dazzle
जगत्
प्रस्तरतले - शिलातले - पत्थरों के तल पर - On the surface
of the rocks
लतातरुगुल्माः - लताश्च तरवश्च - लता, वृक्ष और झाड़ी- Creepers, trees and
गुल्माश्च shrubs
पाषाणी - पर्वतमयी - पथरीली - Stony
निसर्गे - प्रकृत्याम् - प्रकृति में - In the nature
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