Class-7- chapter 13
त्रयोदशः पाठः
अमृतं संस्कृतम्
इकारान्तस्त्रीलिङ्गः
विश्वस्य उपलब्धासु भाषासु संस्कृतभाषा प्राचीनतमा भाषास्ति। भाषेयं अनेकाषां भाषाणां जननी मता। प्राचीनयोः ज्ञानविज्ञानयोः निधिः अस्यां सुरक्षितः। संस्कृतस्य महत्त्वविषये केनापि कथितम् - ‘भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा’।
इयं भाषा अतीव वैज्ञानिकी। केचन कथयन्ति यत् संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा। अस्याः वाङ्मयं वेदैः, पुराणैः, नीतिशास्त्रैः चिकित्साशास्त्रादिभिश्च समृद्धमस्ति। कालिदासादीनां विश्वकवीनां काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्। कौटिल्यरचितम् अर्थशास्त्रं जगति प्रसिद्धमस्ति। गणितशास्त्रे शून्यस्य प्रतिपादनं सर्वप्रथमम् आर्यभटः अकरोत्। चिकित्साशास्त्रे चरकसुश्रुतयोः योगदानं विश्वप्रसिद्धम्। संस्कृते यानि अन्यानि शास्त्राणि विद्यन्ते तेषु वास्तुशास्त्रं, रसायनशास्त्रं, खगोलविज्ञानं, ज्योतिषशास्त्रं, विमानशास्त्रम् इत्यादीनि उल्लेखनीयानि।
संस्कृते विद्यमानाः सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति, यथा - सत्यमेव जयते, वसुधैव कुटुम्बकम्, विद्ययाऽमृतमश्नुते, योगः कर्मसु कौशलम् इत्यादयः। सर्वभूतेषु आत्मवत् व्यवहारं कर्तुं संस्कृतभाषा सम्यक् शिक्षयति।
केचन कथयन्ति यत् संस्कृतभाषायां केवलं धार्मिकं साहित्यम् वर्तते- एषा धारणा समीचीना नास्ति। संस्कृतग्रन्थेषु मानवजीवनाय विविधाः विषयाः समाविष्टाः सन्ति। महापुरुषाणां मतिः, उत्तमजनानां धृतिः सामान्यजनानां जीवनपद्धतिः च वर्णिताः सन्ति। अतः अस्माभिः संस्कृतम् अवश्यमेव पठनीयम्। तेन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्।
उक्तञ्च-
अमृतं संस्कृतं मित्र !
सरसं सरलं वचः ।
भाषासु महनीयं यद्
ज्ञानविज्ञानपोषकम् ।।
संृत भाषा िव की ा भाषाओंमसबसेअिधक पुरानी भाषा है। यह अनेक भाषाओंकी जननी मानी गई है। ाचीन ान-िवान का खज़ाना इसी भाषा मसुरित है। संृत के मह के बारेमिकसी नेकहा है। भारत के दो सान ह- संृत तथा संृित। यह वैािनक भाषा है। कुछ लोगोंका कहना हैिक संृत ही कं ूटर के कायके िलए सवम भाषा है। इसका सािह, वेद, पुराण, नीितशा और िचिकाशा आिद सेसमृ है। कािलदास आिद िव किवयोंका का सौदयं अतुलनीय है। कौिट ारा रिचत 'अथशा' िव िस है। गिणत शा मभाराचायनेही सवथम शू का आिवार िकया था। िचिकाशा मचरक और सुुत का योगदान िव िस है। संृत मअ शा भी िवमान ह, उनमवाुशा, रसायनशा, अंतर िवान, ोितषशा, िवमानशा इािद महपूणह। संृत मिवमान सूयाँहमउान हेतुेरणा देती ह; जैसे- स की ही िवजय होती है, सारी पृी एक परवार है, िवा ारा अमृत की ा होती है, कम मकुशलता योग हैइािद। सबके साथ आीयता का वहार करनेके िलए संृत भाषा पूणिशा देती है। कुछ लोगोंका कहना हैिक संृत ममा धािमक सािह िवमान है। ऐसी सोच सही नहींहै। संृत के ंथोंममानव-जीवन के िलए उपयोगी अनेक िवषय सिलत िकए गए ह। महापुषोंकी बु, सनोंका धीरज तथा साधारण लोगोंकी जीवन पित का वणन िकया है। इसिलए हमसंृत अव ही पढ़नी चािहए। िजसके ारा मानव की और समाज की शु होती है। और कहा गया है- िम संृत भाषा अमृत के समान है। सरस और सरल वाणी है। भाषाओंमइसेमान-सान ा हैतथा यह ान तथा िवान का पोषण करनेवाली है।
संृत भाषा िव की ा भाषाओंमसबसेअिधक पुरानी भाषा है। यह अनेक भाषाओंकी जननी मानी गई है। ाचीन ान-िवान का खज़ाना इसी भाषा मसुरित है। संृत के मह के बारेमिकसी नेकहा है। भारत के दो सान ह- संृत तथा संृित। यह वैािनक भाषा है। कुछ लोगोंका कहना हैिक संृत ही कं ूटर के कायके िलए सवम भाषा है। इसका सािह, वेद, पुराण, नीितशा और िचिकाशा आिद सेसमृ है। कािलदास आिद िव किवयोंका का सौदयं अतुलनीय है। कौिट ारा रिचत 'अथशा' िव िस है। गिणत शा मभाराचायनेही सवथम शू का आिवार िकया था। िचिकाशा मचरक और सुुत का योगदान िव िस है। संृत मअ शा भी िवमान ह, उनमवाुशा, रसायनशा, अंतर िवान, ोितषशा, िवमानशा इािद महपूणह। संृत मिवमान सूयाँहमउान हेतुेरणा देती ह; जैसे- स की ही िवजय होती है, सारी पृी एक परवार है, िवा ारा अमृत की ा होती है, कम मकुशलता योग हैइािद। सबके साथ आीयता का वहार करनेके िलए संृत भाषा पूणिशा देती है। कुछ लोगोंका कहना हैिक संृत ममा धािमक सािह िवमान है। ऐसी सोच सही नहींहै। संृत के ंथोंममानव-जीवन के िलए उपयोगी अनेक िवषय सिलत िकए गए ह। महापुषोंकी बु, सनोंका धीरज तथा साधारण लोगोंकी जीवन पित का वणन िकया है। इसिलए हमसंृत अव ही पढ़नी चािहए। िजसके ारा मानव की और समाज की शु होती है। और कहा गया है- िम संृत भाषा अमृत के समान है। सरस और सरल वाणी है। भाषाओंमइसेमान-सान ा हैतथा यह ान तथा िवान का पोषण करनेवाली है।
शब्दार्थाः
भाषेयम् (भाषा+इयम्) | - यह भाषा | this language |
मता | - मानी गई है | is accepted |
निधिः | - खजाना | treasure |
विचार्य | - विचार कर | considering |
वाङ्मयम् | - साहित्य | literature |
अनुपमम् | - अतुलनीय | incomparable |
जगति | - संसार में | in the world |
रसायनशास्त्रम् | - रसायन शास्त्र | chemistry |
खगोलविज्ञानम् | - अन्तरिक्षविज्ञान | astronomy |
धृतिः | - धैर्य | patience |
पोषकम् | - समर्थक | supporter |
1. उच्चारणं कुरुत-
उपलब्धासु सङ्गणकस्य
चिकित्साशास्त्रम् वैशिष्ट्यम्
भूगोलशास्त्रम् वाङ्मये
विद्यमानाः अर्थशास्त्रम्
2. प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तराणि लिखत-
(क) का भाषा प्राचीनतमा?
(ख) शून्यस्य प्रतिपादनं कः अकरोत्?
(ग) कौटिल्येन रचितं शास्त्रं किम्?
(घ) कस्याः भाषायाः काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्?
(ङ) काः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति?
Answer:
(क) संस्कृत भाषा प्राचीनतमा।
(ख) शून्यस्य प्रतिपादनं आर्यभटः अकरोत्।
(ग) कौटिल्येन रचितं शास्त्रं अर्थशास्त्रं अस्ति।
(घ) संस्कृत भाषायाः काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्।
(ङ) संस्कृते विद्यमानाः सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति।
3. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत-
(क) सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा का?
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं कैः समृद्धमस्ति?
(ग) संस्कृतं किं शिक्षयति?
(घ) अस्माभिः संस्कृतं किमर्थं पठनीयम् ?
Answer:
(क) सङ्णकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा संस्कृत अस्ति।
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं वेदैः पुराणैः नीतिशास्त्रैः चिकित्साशास्त्रादिभिश्च समृद्धमस्ति।
(ग) संस्कृत सर्वभूतेशु आत्मवत् व्यवहारं कर्तुं संस्कृत शिक्षयति।
(घ) अस्माभिः संस्कृतं अवश्यमेव पठनीयम् तेन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्।
4. इकारान्त-स्त्रीलिङ्गशब्दरूपम् अधिकृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
गति (प्रथमा) | गतिः | गती | गतयः |
मति (प्रथमा) | ........ | ........ | मतयः |
बुद्धि (द्वितीया) | बुद्धिम् | बुद्धी | बुद्धीः |
प्रीति (द्वितीया) | ........ | प्रीती | ........ |
नीति (तृतीया) | नीत्या | नीतिभ्याम् | नीतिभिः |
शान्ति (तृतीया) | ........ | ........ | शान्तिभिः |
मति (चतुर्थी) | मत्यै/मतये | मतिभ्याम् | मतिभ्यः |
प्रकृति (चतुर्थी) | ......../........ | प्रकृतिभ्याम् | ........ |
कीर्ति (पञ्चमी) | कीर्त्याः/कीर्तेः | कीर्तिभ्याम् | कीर्तिभ्यः |
गीति (पञ्चमी) | ......../........ | गीतिभ्याम् | ........ |
सूक्ति (षष्ठी) | सूक्तेः/सूक्त्याः | सूक्त्योः | सूक्तीनाम् |
कृति (षष्ठी) | ......../........ | ........ | कृतीनाम् |
धृति (सप्तमी) | धृतौ/धृत्याम् | धृत्योः | धृतिषु |
भीति (सप्तमी) | भीतौ/....... | ........ | ........ |
मति (सम्बोधन) | हे मते! | हे मते! | हे मतयः! |
Answer:
गति (प्रथमा) | गति: | गती | गतय: |
मति (प्रथमा) | मति: | मती | मतय: |
बुद्धि (द्वितीया) | बुद्धिम् | बुद्धि | बुद्धी: |
प्रीति (द्वितीया) | प्रीतिम् | प्रीती | प्रीती: |
नीति (तृतीया) | नीत्या | नीतिभ्याम् | नीतिभि: |
शान्ति (तृतीया) | शान्त्या | शान्तिभ्याम् | शान्तिभि: |
मति (चतुर्थी) | मत्यै/मतये | मतिभ्याम् | मतिभय: |
प्रकृति (चतुर्थी) | प्रकृत्यै/प्रकृतये | प्रकृतिभ्याम् | प्रकृतिभ्य: |
कीर्ति (पञ्चमी) | कीर्त्या:/कीर्ते | कीर्तीभ्याम् | कीर्तिभ्य: |
गीति (पञ्चमी) | गीत्या:/गीत्ये | गीतिभ्याम् | गीतिभ्य: |
सूक्ति (पष्ठी) | सूक्ते:/सूक्तया: | सूक्त्यो: | सूक्तीनाम् |
कृति (षष्ठी) | कृते:/कृत्या | कृत्यो: | कृतीनाम् |
धृति (सप्तमी) | धृतौ/धृत्याम् | धृत्यो: | धृतिषु |
भीति (सप्तमी) | भीतौ/भीत्याम् | भीत्यो: | भीतिषु |
मति (सम्बोधन) | हे मते! | हे मती! | हे मतय:! |
5. रेखाङ्कितानि पदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयोः निधिः सुरक्षितोऽस्ति।
(ख) संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा।
(ग) शल्यक्रियायाः वर्णनं संस्कृतसाहित्ये अस्ति।
(घ) वरिष्ठान् प्रति अस्माभिः प्रियं व्यवहर्त्तव्यम्।
Answer:
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयो: क: सुरक्षितोऽस्ति?
(ख) संस्कृतमेव कस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा?
(ग) शल्यक्रियाया: वर्णनं कस्याम् अस्ति?
(घ) कान् प्रति अस्माभि: प्रियं व्यवहर्त्तव्यम्?
6. उदाहरणानुसारं पदानां विभक्तिं वचनञ्च लिखत-
पदानि | विभक्तिः | वचनम् |
यथा-संस्कृतेः | षष्ठी | एकवचनम् |
गतिः | .............. | .............. |
नीतिम् | .............. | .............. |
सूक्तयः | .............. | .............. |
शान्त्या | .............. | .............. |
प्रीत्यै | .............. | .............. |
मतिषु | .............. | .............. |
Answer:
पदानि विभक्ति वचनम्
यथा- संस्कृते: षष्ठी एकवचनम्
गति: प्रथमा एकवचनम्
नीतिम् द्वितीया एकवचनम्
सूक्तय: द्वितीया बहुवचनम्
शान्त्या तृतीया एकवचनम्
प्रीत्यै चतुर्थी एकवचनम्
मतिषु सप्तमी बहुवचनम्
7. यथायोग्यं संयोज्य लिखत-
क | ख |
कौटिल्येन | अभ्युदयाय प्रेरयन्ति। |
चिकित्साशास्त्रे | ज्ञानविज्ञानपोषकम्। |
शून्यस्य आविष्कर्ता | अर्थशास्त्रं रचितम्। |
संस्कृतम् | चरकसुश्रुतयोः योगदानम्। |
सूक्तयः | आर्यभटः। |
Answer:
यथायोग्यं संयोज्य लिखत-
क ख
कौटिल्येन अर्थशास्त्रं रचितम्।
चिकित्साशास्त्रे चरकसुश्रुतयोः योगदानम्।
शून्यस्य आविष्कर्ता आर्यभटः।
संस्कृतम् ज्ञानविज्ञानपोषकम्।
सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति।
क | ख | |
कौटिल्येन | अर्थशास्त्रं रचितम्। | |
चिकित्साशास्त्रे | चरकसुश्रुतयोः योगदानम्। | |
शून्यस्य आविष्कर्ता | आर्यभटः। | |
संस्कृतम् | ज्ञानविज्ञानपोषकम्। | |
सूक्तयः | अभ्युदयाय प्रेरयन्ति। |
ध्यातव्यम्
अस्मिन् पाठे संस्कृति-स्मृति-नीति-सूक्ति-परिस्थिति-पद्धति-दृष्टि-धृति-शान्ति- प्रीति-इत्यादयः शब्दाः प्रयुक्ताः सन्ति। एते शब्दाः गति- मति-शब्दवत् स्त्रीलिङ्ग प्रयुक्ताः भवन्ति।
एतेषां शब्दानां चतुर्थी-पञ्चमी-षष्ठी-सप्तमी-विभक्तीनामेकवचने द्वे द्वे रूपे भवतः। यथा-गत्यै-गतये, गत्याः-गतेः, गत्याम्-गतौ।
गणितशास्त्रम् | - Mathematics; Comprises Arithmetic, Algebra and Geometry |
चिकित्साशास्त्रम् | - Medical Science (Administering remedies or medicine) |
वास्तुशास्त्रम् | - Architecture |
रसायनशास्त्रम् | - Chemistry |
ज्योतिषशास्त्रम् | - Astronomy |
विमानशास्त्रम् | - Aeronautics |
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