Class-7 - chapter 6
आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः ।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति ।।1।।
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श्वः कार्यमद्य कुर्वीत पूर्वाह्णे चापराह्णिकम् ।
नहि प्रतीक्षते मृत्युः कृतमस्य न वा कृतम् ।।2।।
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सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् ।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः ।।3।।
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सर्वदा व्यवहारे स्यात् औदार्यं सत्यता तथा ।
ऋजुता मृदुता चापि कौटिल्यं न कदाचन ।।4।।
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श्रेष्ठं जनं गुरुं चापि मातरं पितरं तथा ।
मनसा कर्मणा वाचा सेवेत सततं सदा ।।5।।
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मित्रेण कलहं कृत्वा न कदापि सुखी जनः ।
इति ज्ञात्वा प्रयासेन तदेव परिवर्जयेत् ।।6।।
1. िजस देश मलोगोंका वहार परंपरा के म के अनुसार होता है, सारेवग का तथा वग के बीच मपड़नेवालेसारेउपवग ारा िकया जानेवाला वहार अा वहार कहा जाता है। 2. कल जो काम िकया जाना चािहए था उसेआज पूणकर लेना चािहए और जो दोपहर मिकया जाना था, उसेदोपहर सेपहलेकर देना चािहए। मौत िकसी का इंतज़ार नहींकरती हैिक इस के ारा िकया जानेवाला कायपूरा आ या नहींआ। अथात हमचािहए िक समय सेपहलेअपनेकाम पूणकर ल। मृुकब हमिनगल जाए। 3. सदा स बोलो, सदा िय बोलो, बुरा लगनेवाला स मत बोलो तथा अा लगनेवाला स भी मत बोलो। यही सनातन धमहै। 4. हमारेवहार मसदैव उदारता, सरलता, कोमलता होनी चािहए तथा कुिटलता का भाव कभी भी नहींहोना चािहए। 5. हमेजनो, ं गु तथा माता-िपता की सदैव मन से, कमसेतथा वाणी सेसेवा करनी चािहए। 6. जो मनु अपनेिम के साथ झगड़ा करता है, वह मनु कभी सुख को ा नहींकरता। इस कार जानतेए कलह सेदूर रहनेका यास करना चािहए। |
शब्दार्थाः
रिपुः | - शत्रु | enemy |
उद्यमः | - परिश्रम | hard work |
शरीरस्थः | - शरीर में स्थित | existing in the body |
अवसीदति | - दुःखी होता है। | become sorrow |
श्वः | - आने वाला कल | tomorrow |
कुर्वीत | - करना चाहिए | should do |
पूर्वाह्णे | - दोपहर से पहले | in the forenoon |
आपराह्णिकम् | - दोपहर के बाद करने योग्य कार्य | work to be done in the afternoon |
अनृतम् | - झूठ | lie |
सनातनः | - सदा से चला आ रहा हो | eternal |
स्यात् | - हो | should be |
औदार्यम् | - उदारता | generosity |
ऋजुता | - सरलता | simplicity |
मृदुता | - कोमलता | softness |
कौटिल्यम् | - कुटिलता, टेढ़ापन | wickedness |
सेवेत | - सेवा करनी चाहिए | should serve |
परिवर्जयेत् | - बचना चाहिए | should avoid |
वाचा | - वाणी से | by speech |
1. सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत।
2. उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
(क) प्रातः काले ईश्वरं स्मरेत्।
(ख) अनृतं ब्रूयात्।
(ग) मनसा श्रेष्ठजनं सेवेत।
(घ) मित्रेण कलहं कृत्वा जनः सुखी भवति।
(ङ) श्वः कार्यम् अद्य कुर्वीत।
3. एकपदेन उत्तरत-
(क) कः न प्रतीक्षते?
(ख) सत्यता कदा व्यवहारे स्यात्?
(ग) किं ब्रूयात्?
(घ) केन सह कलहं कृत्वा नरः सुखी न भवेत्?
(ङ) कः महारिपुः अस्माक शरीरे तिष्ठति?
4. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) मृत्युः न प्रतीक्षते।
(ख) कलहं कृत्वा नरः दुःखी भवति।
(ग) पितरं कर्मणा सेवेत।
(घ) व्यवहारे मृदुता श्रेयसी।
(ङ) सर्वदा व्यवहारे ऋजुता विधेया।
5. प्रश्नमध्ये त्रीणि क्रियापदानि सन्ति। तानि प्रयुज्य सार्थक-वाक्यानि रचयत–
(क) ................................................। (ख) ................................................।
(ग) ................................................। (घ) ................................................।
(ङ) ................................................। (च) ................................................।
(छ) ................................................। (ज) ................................................।
6. मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
तथा न कदाचन सदा च अपि
(क) भक्तः ............... ईश्वरं स्मरति।
(ख) असत्यं ............... वक्तव्यम्।
(ग) प्रियं ............... सत्यं वदेत्।
(घ) लता मेधा ............... विद्यालयं गच्छतः।
(ङ) ............... कुशली भवान्?
(च) महात्मागान्धी ............... अहिंसां न अत्यजत्।
7. चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत-
लिखति कक्षायाम् श्यामपट्टे लिखन्ति सः पुस्तिकायाम्
शिक्षकः छात्राः उत्तराणि प्रश्नम् ते
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