Class-6 -chapter 8
अष्टमः पाठः
सूक्तिस्तबकः
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ।।1।।
पुस्तके पठितः पाठः जीवने नैव साधितः।
किं भवेत् तेन पाठेन जीवने यो न सार्थकः ।।2।।
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।3।।
गच्छन् पिपीलको याति योजनानां शतान्यपि।
अगच्छन् वैनतेयोsपि पदमेकं न गच्छति ।।4।।
काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः।
वसन्तसमये प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः ।।5।।
कः 1. ुत ोक मकहा गया हैिक यिद बालक सेभी कोई अी बात सीखनेके िलए िमले, तो उसेसीख लेना चािहए। िवानोंारा ऐसा कहा जाता है। जैसेसूयके ना होनेपर दीपक सेकाश ा िकया जाता है। 2. पुक मजो पाठ पढ़ाया जाता हैयिद उस पाठ का उपयोग जीवन मनहींउतारा गया, तो ऐसेपाठ का कोई लाभ नहींहै। 3. िय वचन सुनकर सभी मनु सता सेभर जातेह। अतः हमसबके साथ मीठेवचन ही बोलना चािहए। हमइबोलनेमकं जूसी नहीं करनी चािहए। हमचािहए िक उदार मनु की भांित अिधक-से-अिधक मीठेवचनोंका योग कर। 4. चीटी ं चलते-चलतेसकड़ोंयोजन तक पार कर जाती है। लेिकन गड़ यिद चलेही न तो वह एक कदम भी पार नहींकर सकता है। 5. कौवेऔर कोयल दोनोंका रंग काला होता है। उनके रंग के कारण दोनोंमिभता का पता नहींचलता है। वसंत ऋतुके आनेपर मधुर वाणी सेकोयल का और कटुवाणी सेकौवेमिभता का पता लग जाता है। अतः हम सभी को कोयल की तरह ही मुधर वाणी का योग
कः 1. ुत ोक मकहा गया हैिक यिद बालक सेभी कोई अी बात सीखनेके िलए िमले, तो उसेसीख लेना चािहए। िवानोंारा ऐसा कहा जाता है। जैसेसूयके ना होनेपर दीपक सेकाश ा िकया जाता है। 2. पुक मजो पाठ पढ़ाया जाता हैयिद उस पाठ का उपयोग जीवन मनहींउतारा गया, तो ऐसेपाठ का कोई लाभ नहींहै। 3. िय वचन सुनकर सभी मनु सता सेभर जातेह। अतः हमसबके साथ मीठेवचन ही बोलना चािहए। हमइबोलनेमकं जूसी नहीं करनी चािहए। हमचािहए िक उदार मनु की भांित अिधक-से-अिधक मीठेवचनोंका योग कर। 4. चीटी ं चलते-चलतेसकड़ोंयोजन तक पार कर जाती है। लेिकन गड़ यिद चलेही न तो वह एक कदम भी पार नहींकर सकता है। 5. कौवेऔर कोयल दोनोंका रंग काला होता है। उनके रंग के कारण दोनोंमिभता का पता नहींचलता है। वसंत ऋतुके आनेपर मधुर वाणी सेकोयल का और कटुवाणी सेकौवेमिभता का पता लग जाता है। अतः हम सभी को कोयल की तरह ही मुधर वाणी का योग
शब्दार्थाः
उद्यमेन – परिश्रम से by hard work
मनोरथैः – मन की इच्छा से desire/only by desiring
सिंहः – शेर lion
मृगाः – हिरण/पशु deers/animals
दरिद्रता – दीनता/कृपणता poverty
प्रियवाक्यप्रदानेन – प्रिय वचन बोलने से by using sweet words
तुष्यन्ति – सन्तुष्ट/प्रसन्न होते हैं get satisfied
मानवाः – मनुष्य human beings
तस्मात् – इसलिये therefore
वक्तव्यम् – बोलना चाहिए should be spoken
वचने – बोलने में in speaking
साधितः – उपयोग किया used
भवेत् – होगा/होना चाहिए should be
सार्थकः – अर्थपूर्ण/प्रयोजन युक्त meaningful
काकः – कौआ crow
कृष्णः – काला black
पिकः – कोयल cuckoo
पिककाकयोः – कोयल और कौए में between cuckoo and crow
प्राप्ते – आने पर after getting
गच्छन् – जाता हुआ while going
पिपीलकः – नर चींटी ant (he)
याति – जाता है goes
योजनानाम् – 4 कोसों का a measure of distance
(लगभग 12 कि.मी.) equal to 12 kms.
शतानि – सौ hundreds
अगच्छन् – न चलते हुए without movement
वैनतेयः – गरुड़ garuda
अभ्यासः
1. सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत।
2. श्लोकांशान् योजयत-
क ख
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
गच्छन् पिपीलको याति जीवने यो न सार्थकः।
प्रियवाक्यप्रदानेन को भेदः पिककाकयोः।
किं भवेत् तेन पाठेन योजनानां शतान्यपि।
काकः कृष्णः पिकः कृष्णः वचने का दरिद्रता।
3. प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
(क) सर्वे जन्तवः केन तुष्यन्ति?
(ख) पिककाकयोः भेदः कदा भवति?
(ग) कः गच्छन् योजनानां शतान्यपि याति?
(घ) अस्माभिः किं वक्तव्यम्?
4. उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुचितकथनानां समक्षं-‘न’ इति लिखत-
(क) काकः कृष्णः न भवति।
(ख) अस्माभिः प्रियं वक्तव्यम्।
(ग) वसन्तसमये पिककाकयोः भेदः भवति।
(घ) वैनतेयः पशुः अस्ति।
(ङ) वचने दरिद्रता न कर्त्तव्या।
5. मञ्जूषातः समानार्थकानि पदानि चित्वा लिखत-
ग्रन्थे कोकिलः गरुडः परिश्रमेण कथने
वचने ..............
वैनतेयः ..............
पुस्तके ..............
उद्यमेन ..............
पिकः ..............
6. विलोमपदानि योजयत-
क ख
सार्थकः आगच्छति
कृष्णः श्वेतः
अनुक्तम् सुप्तस्य
गच्छति उक्तम्
जागृतस्य निरर्थकः
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